What Does Shodashi Mean?

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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

A unique function with the temple is the fact that souls from any religion can and do present puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from many religions and cultures.

She's venerated by all gods, goddesses, and saints. In certain spots, she is depicted wearing a tiger’s skin, that has a serpent wrapped about her neck and also a trident in one of her palms when the opposite holds a drum.

The supremely lovely Shodashi is united in the guts of the infinite consciousness of Shiva. She eliminates darkness and bestows gentle. 

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, here समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

She's depicted with a golden hue, embodying the radiance with the rising sun, and is usually portrayed with a 3rd eye, indicating her wisdom and insight.

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

The worship of Tripura Sundari is usually a journey in direction of self-realization, wherever her divine magnificence serves as being a beacon, guiding devotees to the ultimate real truth.

The Sadhana of Tripura Sundari is really a harmonious combination of searching for satisfaction and striving for liberation, reflecting the dual elements of her divine mother nature.

स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।

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